जनजाति सलाहकार परिषद(TAC) व भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा द्वारा संभागीय आयुक्त को हटाने की मांग को लेकर जिले भर में ज्ञापन

डेस्क रिपोर्ट

2024-08-23


प्रतापगढ़। जिले के भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के लगभग सभी ब्लॉक प्रतापगढ़, अरनोद, दलोट, पीपलखूंट, सुहागपुरा, धरियावद, छोटीसादड़ी, धमोत्तर ने आज बाँसवाड़ा संभागीय आयुक्त नीरज के पवन खिलाफ ज्ञापन देकर संभागीय आयुक्त के पद से हटाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया।
ज्ञापन द्वारा बताया गया कि संभागीय आयुक्त द्वारा राजस्थान के अनुसूचित क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति भील आदिवासियों पर, रीति रिवाज परंपरा समाप्त करने की कोशिश, विद्वेषपूर्ण व्यवहार, कई मामलों में आरोपी, घोटाले में जेल तथा सरकार के सर्कुलर के अनुसार पोस्टिंग न करने के बावजूद आदिवासी क्षेत्र बांसवाड़ा राजस्थान में नियम विरुद्ध पोस्टिंग पर तत्काल कार्रवाई तथा पद से हटाने की कार्रवाई के लिए राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को लिखा प्रदेश मुक्ति मोर्चा ने पत्र लिखा है।
भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मांगीलाल निनामा ने बताया कि राजस्थान राज्य के बांसवाड़ा संभाग वर्ष 1950 में अनुसूचित क्षेत्र भाग ख राज्य आदेश 1950( constitutional order 26) के रूप में अधिसूचित है, जहाँ संविधान के पांचवीं अनुसूची, अनुच्छेद 244(1) के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र और अनुसूचित जनजाति हेतु प्रशासन और नियंत्रण हेतु विशेष प्रावधान है जहांँ माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने समता बनाम आंध्र प्रदेश 1997 में कहा है कि Object of 5th schedule is to preserve tribal autonomy, culture and traditions.
इसके बावजूद इन संवैधानिक प्रावधानों और सर्वोच्च न्यायालय के संबंधित कई जजमेंट के , माननीय संभागीय आयुक्त नीरज के पवन लगातार भील आदिवासी समुदाय के रीति रिवाज परंपरा और उनकी संवैधानिक मांगों पर स्वयंभू, यातनापूर्ण व्यवहार और आदिवासी समुदाय के होने की वजह से एकतरफा विद्वेषपूर्ण व्यवहार रख रहे हैं।

भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के जिला संयोजक बद्री भगोरा ने बताया कि पिछले विद्वेषपूर्ण व्यवहार, खराब चरित्र के कई उदाहरण तो है ही, पर इसी अनुसूचित जनजाति के लिए विद्वेषपूर्ण व्यवहार की वजह से वर्तमान में 15 अगस्त 2024 को रायपुर प्रतापगढ़ राजस्थान के एक सरकारी स्कूल में अनुसूचित जाति के कर्मचारी को एकतरफा विद्वेषपूर्ण जातिगत सोच की वजह से 17 cc का नोटिस थमाया गया है, जिसका कारण सिर्फ इतना है कि स्कूल के एक बालक ने पृथक राज्य की सोच " भील प्रदेश" पर एक शायरी और नारा लगा दिया। यूं देखा जाए तो संविधान, कानून के अनुसार पृथक राज्य की मांग, संविधान के अनुसार संवैधानिक है, बावजूद उसके इसको गलत मानते हुए एकतरफा और जातिगत कार्यवाही की गई है, बांसवाड़ा संभाग के भील समुदाय पर इनके नियुक्ति के बाद अत्याचार बढ़े हैं, जिसमें पिछले साल आरक्षण की मांग पर इनके इशारों पर भील आदिवासियों की गिरफ्तारी, और थाने में इतनी पिटाई की गई कि उनके हाथ पांव टूट गये। जिसकी उच्च स्तरीय जांच की माँग हम करते हैं।
मुख्य धारा की मीडिया Zee news के अनुसार करप्शन के मामलों में आरोपी आईएएस नीरज के पवन के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार ने अभियोजन स्वीकृति दे दी है. उसके बाद भी सरकार ने उन्हें खास रियायत दे रखी है. पहले कांग्रेस सरकार की ओर से रियायत मिली हुई थी और अब भाजपा सरकार में भी खास रियायत मिली हुई है। सरकार ने अभी उन्हें बांसवाड़ा संभागीय आयुक्त के पद पर लगा रखा है, जबकि सरकार का एक सर्कुलर है, जिसमें साफ है कि करप्शन के आरोपी ऐसे अफसरों को फील्ड या मुख्यालय पर पोस्टिंग नहीं दी जाए। नीरज के. पवन नेशनल हेल्थ मिशन घोटाले में जेल गए, स्वास्थ्य विभाग के प्रचार प्रसार से जुड़ी llC विंग में दलाल के साथ मिलकर चहेती फर्म को गलत तरीके से टेंडर देने के मामले में भारी भ्रष्टाचार सामने आया था। स्वास्थ्य विभाग में रहते हुए कॉन्ट्रैक्ट भर्तियों में भारी गड़बड़ियों के मामले सामने आए। इसके साथ ही श्रम विभाग में राजस्थान कौशल और आजीविका विकास निगम घूसकांड, जयपुर ग्रेटर नगर निगम में बीवीजी घोटाले और करौली में कलेक्टर रहते नरेगा से जुड़े मामलों में भी अनियमितता सामने आ चुकी है। बावजूद इसके नीरज के पवन पर सरकारी कृपा राज्य सरकार के भ्रष्टाचार का भांडाफोड़ करती है। पिछले दिनों बांसवाड़ा राज्य में अनुसूचित जनजाति के रीति रिवाज परंपरा को नुक़सान पहुंचाने की नीयत से बांसवाड़ा के टापुओं पर विशेष धर्म आधारित संरचनाओं के निर्माण की घोषणा कर वर्ग विभेद, दो वर्गों के बीच में घर्षण की स्थिति पैदा करने की कोशिश की थी, जो कि BNS 2023 के संबंधित सेक्शन के अनुसार अपराध है।

संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार संसद राज्य निर्धारण, राज्य के सीमा का निर्धारण करता है, और ये बिल्कुल संवैधानिक है, राज्य की मांग संवैधानिक है, अलग देश की मांग असंवैधानिक, ऐसे में छोटे बच्चे की भील प्रदेश पृथक राज्य की सोच , स्कूल में उसकी चर्चा नाजायज कैसे है?? संविधान के भाग III, मौलिक अधिकार का हनन है, जहां अनुच्छेद 19 के अनुसार बोलने की स्वतंत्रता पर रोक लगाया जा रहा है, जहां बांसवाड़ा संभाग के एक स्कूल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पलूना, सलूंबर में 15 अगस्त 2024 को विशेष धर्म आधारित झंडा लहरा कर विशेष धर्म आधारित देश की मांग की जा रही है, और ये बिल्कुल असंवैधानिक है वहां संभागीय आयुक्त ने कोई कार्रवाई नहीं की, इस प्रकार जाहिर है कि माननीय संभागीय आयुक्त नीरज के पवन भील समुदाय के लिए छोटी सोच रखते हैं। चूंकि एकतरफ संविधान के founder members ने अनुसूचित जनजाति के विकास और उनको मुख्य धारा में शामिल करने हेतु संविधान के अनुच्छेद 14, 16 , 244(1) आदि रखा गया है, संविधान में राजस्थान के इन स्वतंत्र राज्य के भील क्षेत्र को विलय हेतु Treaty , grant , agreement ( विलय हेतु संधि) किए हैं, जो कि सर्वोच्च न्यायालय के समता बनाम आंध्र प्रदेश 1997 के अनुसार integral sceme है, जहां, माननीय संभागीय आयुक्त द्वारा लगातार अनुसूचित जनजाति के संबंधित कर्मचारियों को नौकरी करने न देने की सोच , आरक्षण पर हमला आदि संविधान के सारवान प्रश्न ( substantial question) पर भी हमला करती है , जो कि आजादी के करार पर हमला है, जिस पर अगर भील आदिवासी समुदाय माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकार हनन हेतु याचिका दायर करें, तो सर्वोच्च न्यायालय के 5 जजों की खंडपीठ बैठकर मामले का निस्तारण करेगी।

हमारी निम्न मांगे ज्ञापन में शामिल करते हैं

1. संभागीय आयुक्त नीरज के पवन को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर स्थानीय अनुसूचित जनजाति भील समुदाय के पदाधिकारी को पोस्टिंग दी जाए, ताकि संविधान के भाग III मौलिक अधिकार का संरक्षण हो सके,
2. अभी तक राजनीतिक सोच और भील समुदाय के खिलाफ नीची सोच, जातिगत सोच, और विद्वेषपूर्ण व्यवहार के साथ सभी सरकारी कर्मचारियों पर कार्रवाई पर तत्काल रोक के साथ नियुक्ति दी जाए
3. राजस्थान राज्य के अनुसूचित जनजाति आदेश में notified अनुसूचित जनजाति भील समुदाय के रीति रिवाज परंपरा पर किसी विशेष धर्म से प्रेरित होकर नुकसान कर संविधान के अनुच्छेद 19(5) , (6) मौलिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया जाए
4. भील प्रदेश की मांग ( अलग राज्य) संविधान के अनुच्छेद 3, अनुच्छेद 244(1) के प्रावधान पांचवी अनुसूची के पैरा 6 के अनुसार संवैधानिक है, इसलिए मानसिक प्रताड़ना किसी भी अनुसूचित जनजाति, क्षेत्र के अन्य sc,obc,gen जो कि भील प्रदेश की territory के भीतर हैं, भील प्रदेश की मांग को सहयोग करते हैं, उनको सरकारी, राजनीतिक प्रताड़ना न दी जाए।
अन्यथा तत्काल प्रभाव से इन सभी मांगों पर कार्रवाई और अनुपालन न होने की स्थिति में जिला, राज्य, और देश स्तर पर क्रमशः आवाज उठाई जाएगी सरकार झूठे मुकदमे में आदिवासियों को फसाती हैं। ज्ञापन के साथ में प्रतिलिपि माननीय राष्ट्रपति महोदया, नई दिल्ली, भारत माननीय राज्यपाल महोदय, जयपुर राजस्थान माननीय अध्यक्ष महोदय, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग, नई दिल्ली, भारत पुलिस अधीक्षक महोदय भी प्रेषित की पूरे जिले में ज्ञापन देने में भील प्रदेश मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।

माहिडेम के चार गेट शाम चार बजे खोले जाएंगे

महाविद्यालय अरनोद में अतिशीघ्र प्रवेश प्रारंभ करवाने को लेकर सौपा ज्ञापन

प्रतापगढ़। राजकीय महाविद्यालय अरनोद में अतिशीघ्र प्रवेश प्रारंभ करवाने के संबंध में जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौपा गया व बताया कि बजट सत्र 2024-25 में अरनोद ब्लॉक में नया महाविद्यालय खोला गया है लेकिन अभी तक महाविद्यालय का संचालन नही किया गया है। जिससे अरनोद क्षेत्र के विद्यार्थियों में काफी रोष है जल्द से जल्द व समय रहते महाविद्यालय में प्रवेश प्रारभ करवाया जावे ताकि गरीब बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके। इस दौरान ज्ञापन में Bpvm जिला संयोजक विक्रम निनामा,bpvm ब्लॉक संयोजक प्रतापगढ़ बद्री निनामा, bpvm ब्लॉक संयोजक सुहागपुरा अनिल खड़ा, कमलेश जी, उमेश हार्मोर, गौतम चरपोटा, दिनेश महिडा, कांतिलाल निनामा, अनिल डिंडोर समस्त bpvm टीम प्रतापगढ़ आदि उपस्थित रहे।

पुलिया निर्माण की मांग को लेकर उपखंड अधिकारी को सोपा ज्ञापन,बारिश में पानी के बहाव में रास्ता पार कर घर जाने को मजबूर हे ग्रामीण



9वर्ष पूर्व बनीं थी पुलिया,एक वर्ष में बह गई

पानी के कारण दो दिन पूर्व एक महिला का प्रसव घर पर ही करवाना पड़ा

पीपलखूंट। ग्राम पंचायत पीपलखूंट के नालपाडा गांव के ग्रामीणों ने आज उपखंड अधिकारी को नवीन पुल निर्माण की मांग को लेकर ज्ञापन सोपा।ज्ञापन में बताया नालपाड़ा गांव में पानी के बहाव का नाला जाता हे उसके पर बसा हुआ हे,वर्षा ऋतु में यह नाला तेज बहाव से पानी जाता हे जिससे की रहने वालो को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हर छोटे बड़े कार्य के लिए पीपलखूंट जाना पड़ता है,बच्चो को स्कूल जाने में परेशानी हे तेज पानी से बहते नाले में से होकर बच्चे स्कूल जाते हे जिससे बड़े हादसे का डर बना हुआ हे,दो दिन पूर्व एक महिला का प्रसव रात के समय घर पर ही करना पड़ा,क्युकी तेज पानी की बहाव की वजह से अस्पताल नही ले जा पाए,वही दुपहिया वाहन को उठा कर घर ले जाना पड़ता है। 9 वर्ष पूर्व एक पुलिया बनी थी जो की एक वर्ष में ही बह गई जिसकी लिखित रूप से रिपोर्ट जिला कलक्टर को जन सुनवाई में दी गई हे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया हे।

यहां नालपाड़ा में नाले कि दूसरी ओर 30 से ज्यादा परिवार रहते हे जिनके लिए मुसीबत बनी हुई हे,सभी ने जल्द से जल्द पुलिया निर्माण की मांग करी हे।ओर दो दिन में अधिकारीगण मौके पर आकर समस्या नही देखते है और ग्रामीणों को संतोषप्रद जवाब नहीं देते हे तो पीपलखूंट से घंटाली मार्ग जाम करने की चेतावनी दी।